“केनश्राइन” पेश कर रहे हैं एक हर्बल औषधि आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। यह शब्द संस्कृत के शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है। आयुर्वेद, या आयुर्वेदिक चिकित्सा को कई सदियों पहले ही वेदों और पुराणों में प्रलेखित किया गया था। यह बात और हैं के आयुर्वेद वर्षों से विकसित हुआ है और अब योग सहित अन्य पारंपरिक प्रथाओं के साथ एकीकृत है। ऐसे ही आयुर्वेद का ज्ञान समेटते हुए “दादू जी माल्ट” आयुर्वेद को समर्पित आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ शरीर की परिभाषा को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है, “स्वास्थ्य” को व्यक्ति के स्व और उसके परिवेश से तालमेल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। आयुर्वेद का कर्तव्य है कि देह का प्राकृतिक संतुलन बनाये रखना और शेष विश्व से उसका तालमेल बनाना।

13 प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बना

  • आँवला (Phyllanthus Emblica)

    “आँवला” क्या है ? आँवला एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है और बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। आँवला खाने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है। यह शरीर से अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। “इसके पेड़ की छाया तक में एंटीवायरस गुण हैं और अद्भुत जीवन शक्ति है।” चरक के मत से शारीरिक अवनति को रोकनेवाले अवस्थास्थापक द्रव्यों में आँवला सबसे प्रधान है।

  • अश्वगंधा (Withania somnifera)

    “अश्वगंधा” क्या है ?” यह विदानिया कुल का पौधा है; विदानिया की विश्व में 10 तथा भारत में 2 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। आयुर्वेद मे अशवगंधा को मेध्य रसायन भी कहते है जिससे हमारी दिमाग की याददाश्त तथा एकाग्रता बढाने के लिए उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा को जीर्णोद्धार औषधि के रूप में जाना जाता है।

  • केसर (Crocus sativus)

    “केसर क्या है ?” यह एक बहुत बहुमुखी पदार्थ रहा है। पहला डेटा इंगित करता है कि यह Mesopotamia में 5000 साल पहले एक मसाले के रूप में इस्तेमाल किया गया था। आपको पता होना चाहिए कि इस मसाले के एक किलोग्राम के लिए आपको अस्सी हजार हजार भगवा गुलाब की जरूरत है। फूल का संग्रह एक करके और मैन्युअल रूप से किया जाना चाहिए। केसर सबसे पुरानी दवाओं में से एक है केसर कई तरीकों से मूल्यवान था और शवलन अपरिवर्तनीय था।

  • मुलहठी (Glycyrrhiza Glabra)

    “मुलहठी” क्या है?” आयुर्वेदिक औषधि गुणों से भरपूर मुलहठी का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। स्वाद में मीठी मुलहठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। इसका इस्तेमाल श्वसन और पाचन क्रिया के रोग की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सर्दि में होने वाली समस्याएं जैसे सर्दी-खांसी, जुकाम, कफ, गले और यूरिन इंफैक्शन की प्रॉब्लम को भी यह जड़ से खत्म कर देता है।

  • अदरक (Zingiber officinale Roscoe)

    “अदरक” क्या है?” भारत में जन्मी अदरक को महाऔषधि की उपाधि मिली हुई है । यह भारत में जन्मा तथा पनपा हुआ मसाला है । जिंजर की रक्षा प्रणाली उसका तीखापन है तथा हमारा मजेदार मसाला है अदरक । ईसा से 200 वर्ष पूर्व भारत में था सुंडी नाम का शहर जिंजर का व्यापार तब जोर पकड़ चुका था । ईसा से 130 वर्ष बाद यूनानी चिकित्सक शरीर की शुद्धि के लिए जिंजर का प्रयोग कर रहे थे । अदरक उल्टी के प्रभाव को तो रोकती ही थी इसके साथ ही जानलेवा स्तर को भी काम करती थी ।

  • चुकंदर (Beta vulgaris)

    “चुकंदर” क्या है?” भारत में जन्मी अदरक को महाऔषधि की उपाधि मिली हुई है । यह भारत में जन्मा तथा पनपा हुआ मसाला है । जिंजर की रक्षा प्रणाली उसका तीखापन है तथा हमारा मजेदार मसाला है अदरक । ईसा से 200 वर्ष पूर्व भारत में था सुंडी नाम का शहर जिंजर का व्यापार तब जोर पकड़ चुका था । ईसा से 130 वर्ष बाद यूनानी चिकित्सक शरीर की शुद्धि के लिए जिंजर का प्रयोग कर रहे थे । अदरक उल्टी के प्रभाव को तो रोकती ही थी इसके साथ ही जानलेवा स्तर को भी काम करती थी ।

  • गाजर (Daucus carota subsp. sativus)

    “गाजर” क्या है?” गाजर में अच्छी मात्रा में लौह, विटामिन और खनिज होते हैं जो रक्तवर्धन और शोधन के काम में सहायक होते हैं। गाजर विटामिन्स, पोषक तत्वों और फाइबर का खजाना है आयुर्वेद में गाजर को कई बीमारियों के लिए इलाज के तौर पर प्रयोग किया जाता है। क्योंकि गाजर में फैट न के बराबर होता है लेकिन पौष्टिकता भरपूर मात्रा में होता है, जैसे- सोडियम, पोटाशियम, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, विटामिन ए, डी, सी, बी आदि होते हैं।

  • गिलोय (Tinospora Cordifolia)

    “गिलोय” क्या है ?” प्राचीन काल से ही गिलोय को एक आयुर्वेदिक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसे नीम गिलोय के नाम से जाना जाता है। गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है।

  • गोखरू (Tribulus Terrestris)

    “गोखरू” क्या है?” गोखरू एक ऐसी जड़ी बूटी है जो सदियों से मानव के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद ही साबित हुआ है। ये उन जड़ी बूटियों में से एक है जो वात पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करने में सहायता करती है। ये सिर्फ बीमारियों के लिए नहीं बल्कि यौन समस्याओं को ठीक करने में बहुत फायदेमंद साबित होता है।गोखुर के गुण अनगिनत है। जिसके कारण ही यह सेहत और रोगों दोनों के लिए औषधि के रुप में काम करता है।

  • काली मिर्च (Piper nigrum)

    “काली मिर्च” क्या है?” काली मिर्च को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले वास्को डी गामा भारत आए थे, उनके पीछे फिर पुर्तगाल के व्यापारी भी आ गए। काली मिर्च का ये दाना काले सोने के रुप में भी जाना जाता था। इसका प्रचलन उस दौर में ऐसा था की इसे ताकत और धन के रुप में देखा जाता था।काली मिर्च केवल भारत में ही पाई गई थी। बहुत से लोग यह कहते है की भारत के पुर्वज ही इसे कहीं से लेकर आए थे।

  • पालक (Spinacia oleracea)

    “पालक” क्या है?” वर्तमान में आयुर्वेद के अनुसार पालक के काफी चिकित्सीय फायदे बताए गए हैं , इस प्रकार पालक की उत्पत्ति भारत में ही होनी चाहिए क्यूंकी आयुर्वेद तो 7-8 हज़ार वर्ष पुरानी परंपरा है । हमारे स्वास्थ्य के लिए पालक बहुत अच्छा है इसीलिए इसे Super –Food भी कहा जाता है । इसको नियमित रूप से खाने से कैंसर , ब्लड प्रेशर , हड्डी ,वजन कम करने में , आँखों के लिए , हाइपर टेंशन कंट्रोल करने , दिमाग को दुरुस्त रखने , और इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत ज्यादा सहायक है ।

  • पिप्पली (Piper longum Linn.)

    “पिप्पली” क्या है?” अधिकांश लोगों को पिप्पली के बारे में जानकारी ही नहीं है कि पिप्पली क्या है, पिप्पली का उपयोग किस काम में किया जाता है, या पीपली के फायदे क्या-क्या हैं? पेट से जुड़ी बड़ी समस्याओं जैसे कॉन्स्टिपेशन और इनडायजेशन से आराम दिलाती है पिपली. इसका पानी पीने से बाउल को कार्य करने में मदद होती है और कॉन्स्टिपेशन की परेशानी कम होती है. आयुर्वेद में पिप्पली के कच्चे फलों का औषधिये रूप में प्रयोग किया जाता है।

  • मंडूर भस्म (Calx of Iron rust)

    “मंडूर भस्म (लोहे का चूर्ण)” क्या है?” मंडूर भस्म (लोहे का चूर्ण) एनीमिया पीडि़त महिलाओं के लिए वरदान सरीखा है। यह दावा है बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के चिकित्सकों का। चिकित्सकों की एक टीम ने शोध में पाया कि मंडूर भस्म की एक निश्चित मात्रा एक माह तक इस्तेमाल करने से रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है। शोध के बाद बीएचयू के फार्मेसी में मंडूर भस्म का निर्माण शुरू हो गया है। इसे बीएचयू अस्पताल में सप्लाई किया जाएगा।